Bihar Crime: अफसर–ठेकेदारों की सांठगांठ, सरकारी ख़ज़ाने पर डाका की खुली पोल, कनेक्शनों की बिजली का 12 करोड़ बकाया!
Bihar Crime:सरकारी तंत्र की गलियों से एक ऐसा फ़साना निकला है, जिसमें भ्रष्टाचार का धुआँ भी है और मिलीभगत की बू भी।.....
Bihar Crime:सरकारी तंत्र की गलियों से एक ऐसा फसाना निकला है, जिसमें भ्रष्टाचार का धुआँ भी है और मिलीभगत की बू भी। रोहतास जिले में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग और संवेदकों के गठजोड़ की यह कथित कहानी अब सिस्टम के सीने पर सवालों की तलवार बनकर लटक रही है। आरोप है कि जलापूर्ति योजनाओं की आड़ में ठेकेदारों-अफसरों ने सरकारी ख़ज़ाने पर ‘खामोश लूट’ का खेल खेला और करीब 12 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि बिजली बिलों में बकाया छोड़ दिया।
चार महीने पहले कार्यपालक अभियंता अमित कुमार ने सभी संवेदकों को सख़्त आदेश दिया था कि 15 दिनों के भीतर ‘हर घर नल का जल’, पाइप ग्रामीण जलापूर्ति (PWS) और मिनी जलयोजनाओं की लंबित बिजली राशि का शत-प्रतिशत भुगतान किया जाए। लेकिन अपराध-गाथा की तरह कहानी पलटी—निर्देश तो जारी हुआ, मगर संवेदकों ने कुल बकाया में से सिर्फ़ 2 करोड़ रुपये का ही हिसाब चुकाया, बाकी रकम आज भी बिजली विभाग के बिलों पर एक मुजरिम साया की तरह लटक रही है।
चौंकाने वाली बात यह है कि इतनी बड़ी देनदारी के बावजूद भी बिजली विभाग ने किसी भी कनेक्शन की सप्लाई नहीं काटी, मानो सरकारी नियमों की तलवार सिर्फ़ आम उपभोक्ताओं के लिए ही बनी हो। चंद सौ रुपये बकाया होने पर आम घर की बिजली फौरन गुल कर देने वाला विभाग यहाँ 12 करोड़ की देनदारी पर ‘चुप्पी का चिराग’ जलाए बैठा है। सवाल उठ रहे हैं—यह नरमी क्यों? किसके इशारे पर? और किस लाभ के लिए?
जिलाधिकारी उदिता सिंह ने भी 14 अगस्त को पत्र जारी कर असंतोष जताया था और बकाया वसूली में तेजी लाने का आदेश दिया था। लेकिन PHED की चुप्पी और कार्रवाई का शून्य, दोनों ही मिलकर अफसर–ठेकेदार गठजोड़ की शक्ल और भी ठोस करते हैं।
आलोक कुमार सिंह, राजेश कुमार, गणपति बोरवेल, सत्य श्री साई कंस्ट्रक्शन समेत दर्जनों संवेदकों के नाम बकाया सूची में शामिल हैं। यह पूरा मामला अब जिले में चर्चा का “मुजरिम बयान” बन गया है कि जब नियम गरीब पर सख़्त हैं, तो करोड़ों वालों पर क्यों मेहरबानी?
रिपोर्ट-रंजन सिंह