Bihar ADR report: ADR की रिपोर्ट ने खोली बड़ी पोल, कई बड़े उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामले, जानें किसने नाम शामिल

Bihar ADR report: ADR और बिहार इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है। विधानसभा चुनाव 2025 में 71% उम्मीदवारों ने आपराधिक मामलों के लिए C-7 फॉर्म भरा; कई बड़े नेताओं पर गंभीर मामले दर्ज।

Bihar ADR report
कई बड़े उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामले- फोटो : social media

Bihar ADR report:  देश में चुनावी पारदर्शिता के लिए काम करने वाले एडीआर (Association for Democratic Reforms) और बिहार इलेक्शन वॉच ने विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है। प्रारूप C-7 के विश्लेषण के बाद पता चला है कि राज्य की राजनीति में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह रिपोर्ट दिखाती है कि चुनावी मैदान में कई दावेदार ऐसे हैं जिन पर गंभीर आरोप दर्ज हैं, फिर भी वे आसानी से टिकट पा रहे हैं।

कौन-कौन हैं सबसे ज्यादा मामले वाले उम्मीदवार?

एडीआर के अनुसार, कई चर्चित उम्मीदवारों पर बड़े पैमाने पर आपराधिक आरोप हैं। जदयू के अनंत सिंह पर सबसे अधिक मामले दर्ज पाए गए, जबकि जन सुराज पार्टी के त्रिपुरारी तिवारी उर्फ मनीष कश्यप के खिलाफ भी बड़ी संख्या में गंभीर आरोप हैं। राजद के देवा गुप्ता, राघोपुर के तेजस्वी यादव और एआईएमआईएम के मोहम्मद कैफ के नाम भी सूची में शामिल हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि अपराध का साया अभी भी बिहार की राजनीति पर गहरा है।

कितने प्रत्याशियों ने खुद स्वीकारे आपराधिक मामले

रिपोर्ट बताती है कि चुनावी मैदान में उतरे कुल 2616 प्रत्याशियों में से 612 ने अपने ऊपर दर्ज मामलों की जानकारी सार्वजनिक की। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि जिन 436 उम्मीदवारों ने C-7 फॉर्म भरा, उनमें से 29% ने अपनी अपराध पृष्ठभूमि की पूरी जानकारी साझा ही नहीं की। यह सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन माना गया है।

कौन-कौन से दलों ने उम्मीदवार चयन का कारण नहीं बताया

C-7 फॉर्म में यह बताना जरूरी है कि किसी दल ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार को टिकट क्यों दिया। लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, जन सुराज पार्टी, राजद, भाजपा, कांग्रेस, जदयू सहित लगभग सभी प्रमुख दलों ने यह ज़रूरी कारण सार्वजनिक नहीं किया।एडीआर ने कहा कि राजनीतिक दल साफ छवि की बात तो करते हैं, लेकिन नियमों का पालन करने में कोताही बरतते हैं।

डेटा कैसे इकट्ठा किया गया

बिहार इलेक्शन वॉच के राज्य संयोजक राजीव कुमार ने बताया कि रिपोर्ट के लिए सूचनाएं उम्मीदवारों की वेबसाइट, राजनीतिक दलों के पोर्टल और सोशल मीडिया से जुटाई गईं। साथ ही चुनावी हलफनामों और C-7 फॉर्म का भी पूरा अध्ययन किया गया। कई स्थानों पर जानकारी अधूरी मिली, जो पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की क्या है मूल बात

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को यह अनिवार्य किया है कि वे अपराधी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने का कारण सार्वजनिक रूप से बताएं। यह कारण सोशल मीडिया, आधिकारिक वेबसाइट और समाचार पत्रों में प्रकाशित करना जरूरी है। ADR की रिपोर्ट कहती है कि अधिकांश दलों ने इस आदेश का पालन ही नहीं किया।