पेंशन का टेंशन : बिहार के 80 हजार शिक्षक पड़े बड़का फेरा में, अपने वेतन से पेंशन स्कीम में पैसा तो कटा रहे लेकिन पेंशन मिलने की उम्मीद हो रही खत्म

PATNA : बिहार में शिक्षकों की समस्याएं खत्म होती ही नजर नहीं आ रही है। राज्यकर्मी के दर्जे की मांग, डोमिसाइल नीति के बाद 80 हजार शिक्षकों के सामने पेंशन की समस्याएं सामने आ गई है। इन शिक्षकों के खाते में वर्ष 2013 से 2020 तक सरकार की ओर से अंशदान की राशि नहीं मिली है। 

मामला यूटीआई पेंशन स्कीम से जुड़ा है। इस योजना में मुजफ्फरपुर के 13 हजार शिक्षक भी हैं, जो हर महीने वेतन से इस स्कीम में पैसा कटा रहे हैं, लेकिन पेंशन मिलने की उम्मीद खत्म हो रही है। पिछले तीन साल में रिटायर सैकड़ों शिक्षकों को यूटीआई पेंशन नहीं मिली है। 

दस साल पुरानी स्कीम

दरअसल, नियोजित शिक्षकों के लिए यूटीआई पेंशन स्कीम 2013 में शुरू की गई। इसमें निर्देश दिया गया कि नियोजित शिक्षकों को पेंशन का लाभ मिले, इसके लिए सरकार हर महीने अंशदान देगी। जिसमें योजना के तहत सरकार को 200 रुपये प्रतिमाह हर शिक्षक के लिए अंशदान देना था। शिक्षक 500 या उससे अधिक राशि इच्छानुसार कटा सकते हैं। 

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जिले के अधिकांश शिक्षक दो से पांच हजार रुपये यूटीआई में जमा कर रहे हैं। इस स्कीम के तहत सरकार को साल 2020 तक की राशि देनी है। वेतनमान लागू होने के बाद इस स्कीम के तहत अंशदान सरकार नहीं देगी, मगर शिक्षक राशि जमा कर सकते हैं। जिले में सभी शिक्षक इसके तहत राशि जमा कर रहे हैं, मगर 10 साल से राशि कटाने के बाद भी शिक्षक खाली हाथ है।   

रिटायर होने के बाद विभाग के चक्कर काट रहे हैं

यूटीआई के डिस्ट्रिक्ट एसोसिएट दीनदयाल अग्रवाल बताते हैं कि जिले में बस एक साल 2014 में अंशदान की राशि आयी। इधर, कई जिलों में दो तो कई में तीन साल की राशि मिली। पूरी राशि किसी जिले को नहीं मिली है। इधर, सेवानिवृत होने वाले शिक्षक पेंशन के लिए यूटीआई व शिक्षा विभाग के कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं।   

वित्तिय वर्ष के अंत में खाते में डाली राशि, हो गई सरेंडर

इस साल सरकार से 28 मार्च को अंशदान की राशि आवंटित की गई थी। डीईओ अजय कुमार सिंह कहते हैं कि राशि निकासी की प्रक्रिया दो दिन में नहीं हो सकी। यूटीआई भी शिक्षकों के कागजात अपडेट नहीं कर पाया। ऐसे में वित्तीय वर्ष खत्म होने के कारण सरेंडर करनी पड़ी। राशि की मांग की गई है।