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दिल्ली में फिर सात में सात! या...खेल बिगाड़ेंगे मुस्लिम मतदाता.. कितनी निर्णायक होंगी आधी आबादी...

दिल्ली में फिर सात में सात! या...खेल बिगाड़ेंगे मुस्लिम मतदाता.. कितनी निर्णायक होंगी आधी आबादी...

नई दिल्ली: भारत निर्वाचन आयोग की घोषणा के अनुसार दिल्ली की सभी 7 सीटों के लिए मतदान 25 मई को एक ही दिन होगा. देश की राजधानी की फिलहाल सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी  का कब्जा है. इस बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी  एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं. केंद्र में सत्ताधारी पार्टी भाजपा एक बार फिर सभी सीटों पर अकेले ताल ठोक रही है. जबकि आप और कांग्रेस इंडी गठबंधन के बैनर तले 4 और 3 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. दिल्ली में  इंडिया गठबंधन और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है. इस बार पहले की तुलना में मुकाबला बेहद दिलचस्प बताया जा रहा है. इसकी सबसे बड़ी इन तमाम सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या को माना जा रहा है.

नई दिल्ली लोकसभा सीट का गणित

16.8 फीसदी मुसलमान मतदाताओं वाले नई दिल्ली लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा ने सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को उतारा है. तो आम आदमी पार्टी ने सोमनाथ भारती को उतारा है. नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में 10 विधानसभा सीटें करोल बाग, पटेल नगर, मोती नगर, दिल्ली कैंट, राजेंद्र नगर, नई दिल्ली, कस्तूरबा नगर, मालवीय नगर, आरके पुरम, और ग्रेटर कैलाश आती है. 

नार्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट का सियासी हिसाब

अब बात नार्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट की.  इस लोकसभा सीट के तहत सीलमपुर, बुराड़ी, घौंडा, सीमापुरी, गोकलपुरी, बाबरपुर, करावल नगर, रोहतास नगर समेत कुल 10 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. यहां  मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 20.7 प्रतिशत है. 

ईस्ट दिल्ली में मुसलमान क्या गड़बड़ाएंगे भाजपा का खेल

नार्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट के बाद ईस्ट दिल्ली में सबसे ज्यादा 16.8 प्रतिशत मतदाता है.  फीसदी है. अगर इतने मतदाता किसी एक उम्मीदवार के पक्ष में वोट कर देते हैं तो उसकी जीत की संभावना बढ़ जाती है. मुस्लिमों के अलावा इस सीट पर सबसे ज्यादा वोटर्स सीख समुदाय से हैं. 

चांदनी चौक लोकसभा पर किसका पलड़ा भारी

चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र में 14 फीसदी मतदाता हैं. भाजपा ने प्रवीण खंडेलवाल को मैदान में उतारा है. तो कांग्रेस के जयप्रकाश अग्रवाल ताल ठोक रहे हैं. 

बार दिल्ली की सात सीटों पर मुकाबला बेहद दिलचस्प बताया जा रहा है. राजनीतिक जानकारों के अनुसार दिल्ली में इस बार मुस्लिम मतदाता कुछ केल बिगाड़ सकते हैं. ऐसे में जिस भी पार्टी के प्रत्याशी को  मुसलमानों का साथ मिलेगा उसका रास्ता आसान हो जाएगा. वहीं भाजपा का मुख्य फोकस चुनावों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर है.

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