PATNA: राजद को अतिपिछड़ा विरोधी पार्टी बताते हुए जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता व अतिपिछड़ा समाज के नेता राजीव रंजन ने आज कहा है कि तेजस्वी के बाद अब लालू जी के धर्म के आधार पर आरक्षण देने के बयान से भी साफ़ है कि यह लोग दलितों, पिछड़ों-अतिपिछड़ों का आरक्षण घटाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि वास्तव में राजद-कांग्रेस की यूपीए सरकार के समय इन्होने रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारिशों को लागू करना चाहते हैं, जिसमें दलित-पिछड़े-अतिपिछड़े समाज का आरक्षण काट कर अन्य धर्मों को देने की बात कही गयी थी. कांग्रेस कर्नाटक में ओबीसी का कोटा काट कर ऐसा कर भी चुकी है. अब बिहार में भी यह उसे दोहराना चाहते हैं.
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि वास्तव में राजद की आरक्षण पर लग रही रट सिर्फ लोगों को गुमराह करने के लिए. इनका इतिहास गवाह है कि सत्ता में रहते हुए इन्होने किसी भी वर्ग को न तो आरक्षण दिया और न ही उनके आरक्षण को बढाया. राजद के नेताओं को समझ लेना चाहिए कि उन्हें जिसे आरक्षण देने का वादा करना हो करें लेकिन दलित-पिछड़ों और अतिपिछड़ों के आरक्षण में कटौती करने का उनका कोई भी प्रयास बिहार की जनता बर्दाश्त नहीं करने वाली है. एक की थाली से निवाला छीन कर दूसरे को देना सही नहीं कहा जा सकता.
उन्होंने कहा कि हकीकत में राजद की निगाह में दलितों, पिछड़ों और अतिपिछड़ों की औकात गुलामों से अधिक नहीं है. नमो-नीतीश की जोड़ी में समाज के गरीब तबकों का हुआ विकास व सशक्तिकरण इन्हें फूटी आँखों नहीं सुहा रहा है. दरअसल इन्हें लगता है कि नमो-नीतीश सरकारों में गरीबों की बढ़ी आत्मनिर्भरता के कारण ही यह लोग उन्हें वोट नहीं देते है. इसीलिए यह लोग उन्हें गरीब बना कर अपने ऊपर आश्रित बनाये रखना चाहते हैं.