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लालू यादव ने कट्टर दुश्मन को बनाया दोस्त, बेटी को सांसद बनाने के लिए चली बड़ी सियासी चाल

लालू यादव ने कट्टर दुश्मन को बनाया दोस्त, बेटी को सांसद बनाने के लिए चली बड़ी सियासी चाल

PATNA: लोकसभा चुनाव में हर पार्टी की ओर ओर से एड़ी चोटी का जोड़ लगाकर चुनावी रण को जितने की कोशिश की जाती है। चुनाव के दौरान जहां वर्षों से दोस्त रहे नेता दुश्मन बन जाते हैं तो वहीं वर्षों की दुश्मनी दोस्ती में बदल जाती है। ऐसा ही कुछ राष्ट्रीय जनता दल में देखनो को मिला है। जहां राजद सुप्रीमो लालू याादव ने पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से बड़ी सियासी चाल चली है। राजद सुप्रीमो लालू यादव ने अपने कट्टर दुश्मन को दोस्त बना लिया है। 

कट्टर दुश्मन बनें दोस्त 

दरअसल, लालू यादव के कभी सबसे करीबी रहने वाले रंजन यादव पहले उनके कट्टर दुश्मन बने वहीं अब एक बार फिर रंजन यादव लालू यादव के परम मित्र बन गए हैं। भाई ये तो राजनीति है और राजनीति में कब कौन किसका मित्र और दुश्मन बन जाए यह कह पाना मुश्किल है। राजद सुप्रीमो ने भी लोकसभा चुनाव के बीच में ही अपने बेटी और पाटलिपुत्र से राजद उम्मीदवार मीसा भारती को जिताने के लिए रंजन यादव से दोस्ती कर ली है। यह दोस्ती यादव मतों को गोलबंद करने के लिए काफी है। 

यादव वोटर्स दिखाएंगे कमाल 

वहीं अब पाटलिपुत्र में रंजन यादव, रीत यादव और भाई वीरेंद्र की चौकड़ी लोकसभा चुनाव में बड़ा गुल खिला सकती है। दरअसल, राजद में शामिल हुए रंजन यादव ने लालू यादव के साथ बिहार की सत्ता में नीवं रखी थी। पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से 2009 में रंजन यादव ने लालू यादव को करारी शिकस्त दी थी।  रंजन यादव को बतौर जदयू उम्मीदवार 269298 मत आया था और राजद सुप्रीमो लालू यादव को 245751 मत मिले। यानी 23541 वोटों से लालू यादव की हार हुई थी। 

रंजन यादव ने दी थी लालू यादव को मात 

पाटलिपुत्र लोकसभा का पहला चुनाव 2009 में हुआ, जिसमें जदयू उम्मीदवार रंजन यादव की जीत हुई थी। लेकिन बाद के हुए दोनों चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार रामकृपाल यादव ने परचम लहराया। वर्ष 2014 में पहली बार भाजपा से रामकृपाल यादव और राजद से मीसा भारती आमने-सामने हुए। इस चुनाव में मीसा भारती 40322 मतों से परास्त हुईं। तब भाजपा उम्मीदवार रामकृपाल यादव को 383262 मत मिले और राजद की उम्मीदवार मीसा भारती को 342940 वोट मिले। वर्ष 2019 में फिर रामकृपाल यादव का मुकाबला मीसा भारती से हुआ और फिर मीसा भारती 39321 मतों से हार गईं।

जातीय समीकरण बिगाड़ेगा बीजेपी का खेल 

पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर कुल करीब 16.5 लाख वोटर हैं। इनमें यादव करीब 4 लाख हैं। भूमिहार मतदाताओं की संख्या 3 लाख, एक लाख ब्राह्मण, 1.7 लाख कुर्मी, 1.7 लाख मुस्लिम और 1.5 लाख दलित मतदाता हैं। इस जातीय समीकरण को देखें तो यादव मतों में विभाजन न हो और जिस किसी को भी मिले उसकी जीत थोड़ी आसान दिखती है। बरहाल रंजन यादव लंबे समय से सक्रिय राजनीति से अलग रहे हैं अब उनका आगमन चुनाव परिणाम में कितना असर करता है यह तो 4 जून को ही परिणाम आने के बाद पत्ता चलेगा।

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