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आखिर क्यों उपेक्षित है प्रभु श्री राम का मुंडल स्थल श्रृंगी ऋषि? नीतीश सरकार हो या भाजपा, किसी की चिंता में नहीं दिखता ऐतिहासिक महत्व का यह पर्यटन स्थल

आखिर क्यों उपेक्षित है प्रभु श्री राम का मुंडल स्थल श्रृंगी ऋषि? नीतीश सरकार हो या भाजपा, किसी की चिंता में नहीं दिखता ऐतिहासिक महत्व का यह पर्यटन स्थल

एक तरफ जहां प्रभु श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या आज हिन्दुस्तान ही नहीं विश्व के मानचित्र पर एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है तो वहीं दूसरी ओर प्रभु श्री राम के जीवन से जुड़ा एक अति महत्वपूर्ण स्थान उपेक्षा का शिकार है। आसपास के लोगों के अलावा इस स्थान के बारे में काफी कम लोग जानते हैं। जय श्री राम का नारा लगाकर जो दल आज केन्द्र में सत्ता का नेतृत्व कर रहा है,वो दल बिहार में करीब पन्द्रह वर्षों तक सत्ता में रहा। बावजूद प्रभु श्री राम से जुड़ा ये महत्त्वपूर्ण स्थान उपेक्षित ही है।

अभी हाल ही में अपने कुछ सहकर्मियों और परिवार के सदस्यों के साथ लखीसराय जिले के श्रृंगी ऋषि जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सच कहूं तो मैंने कल्पना भी नहीं की थी कि हमारे घर से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर इतना खूबसूरत और पवित्र स्थल है। चारों ओर पहाड़ों और हरियाली से घिरा ये स्थान अद्भुत है। पहाड़ों के बीच झड़ने से गिरता पानी, स्नान के लिए कुंड, विघ्नहर्ता भगवान गणेश,  भगवान शिव, माता पार्वती और संकटमोचन हनुमान जी का प्राचीन मंदिर, इस स्थान को बेहद खास बनाता है।

ऐसी मान्यता है कि रामायण काल में इस स्थान पर श्रृंगी ऋषि का आश्रम हुआ करता था। जब काफी समय तक राजा दशरथ को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई तो गुरु वशिष्ठ ने उन्हें पुत्र कामेष्टि यज्ञ करवाने की सलाह दी। उस जमाने में श्रृंगी ऋषि पुत्र कामेष्टि यज्ञ के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाते थे। तब राजा दशरथ ने श्रृंगी ऋषि से पुत्र की कामना को लेकर पुत्र कामेष्टि यज्ञ करवाया और उन्हें राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के रुप में चार पुत्र की प्राप्ति हुई। ऐसी मान्यता है कि बाद में राजा दशरथ ने श्रृंगी ऋषि के आश्रम में आकर चारों पुत्रों का मुंडन संस्कार करवाया था। हर महत्वपूर्ण पर्व त्योहार में यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं आते हैं। पुत्र प्राप्ति की कामना लेकर भी लोग यहां आते हैं और ऐसी मान्यता है कि यहां आकर पूजा करने पर पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। साथ ही प्राकृतिक रूप से समृद्ध होने की वजह से नव वर्ष या फिर अन्य किसी अवसर पर लोग यहां पिकनिक मनाने आते हैं। पिकनिक स्पॉट के रूप में ये स्थान काफी लोकप्रिय है।

बिहार में पर्यटकों के लिए राजगीर और बोधगया के अलावा कुछ खास नहीं है। ऐसे में प्रभु श्री राम से जुड़े इस महत्वपूर्ण स्थान की उपेक्षा समझ से परे है।कई ऐसे प्रदेश हैं जिनकी आय का प्रमुख श्रोत पर्यटन है। जहां की बड़ी आबादी की आजीविका का माध्यम ही पर्यटन है। राज्य सरकारें अपने यहां पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। लेकिन अफसोस कि बिहार की नीतीश सरकार ने राजगीर को छोड़ कभी भी प्रदेश में पर्यटन को विकसित करने के लिए कुछ नहीं किया। जबकि यदि प्रभु श्री राम से जुड़े श्रृंगी ऋषि आश्रम को विकसित किया जाए, पहुंचने के रास्ते सुगम बनाए जाएं, इस स्थान को प्रचारित किया जाए और देशवासियों को जानकारी मिले कि ये प्रभु श्री राम से जुड़ा स्थल है तो निःसंदेह आने वाले समय में ये स्थान न केवल हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल होगा बल्कि एक महत्वपूर्ण टूरिस्ट प्लेस भी होगा। लाखों की संख्या में जब देश के विभिन्न हिस्सों से लोग यहां पहुंचेंगे तो स्थानीय लोगों को रोजगार तो मिलेगा ही, राज्य के खजाने को भी लाभ होगा। सरकार को इस स्थान को विकसित करने पर विचार करना चाहिए।

 श्रृंगी ऋषि की पहाड़ियां, झरने और कुंड आकर्षण का केंद्र है. बारिश के मौसम में झरने का मनमोहक दृश्य लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है, लेकिन पर्यटन सुविधाओं की कमी के कारण यहां आने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में आम लोगों के साथ ही पर्यटक भी यहां की ऐतिहासक और धार्मिक महत्ता को ध्यान में रखकर राज्य सरकार से यहां पर्यटन विकास की अपील करते हैं. बावजूद इसके बिहार का यह अति महत्वपूर्ण धार्मिक पर्यटन स्थल उपेक्षा का शिकार है.

(आलेख: अनुभव सिंह)

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