Health News: बूढ़ापा आपसे रहेगा दूर, बढ़ती उम्र में भी रखें दिमाग,धड़कन, शरीर नौजवान जैसा, डॉक्टर्स के अपनाएं 5 असान फ़ॉर्मूले, एजिंग को ऐसे करें रिवर्स!

Health News:मेडिकल साइंस मानती है कि क्रोनोलॉजिकल एज यानी कैलेंडर वाली उम्र और बायोलॉजिकल एज यानी शरीर की असली उम्र दोनों अलग-अलग होती हैं. हम रोज़मर्रा की जिंदगी में कुछ वैज्ञानिक और आसान बदलाव शामिल कर लें, तो एज सिर्फ एक नंबर बनकर रह जाता है.

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बूढ़ापा आपसे रहेगा दूर, बढ़ती उम्र में भी रखें दिमाग,धड़कन, शरीर नौजवान जैसा- फोटो : Hiresh Kumar

Health News: बढ़ती उम्र एक ऐसा फिज़ियोलॉजिकल प्रोसेस है जिससे कोई भी नहीं बच सकता, लेकिन मेडिकल साइंस मानती है कि क्रोनोलॉजिकल एज यानी कैलेंडर वाली उम्र और बायोलॉजिकल एज यानी शरीर की असली उम्र दोनों अलग-अलग होती हैं. यही कारण है कि कोई 40 की उम्र में ही फटीग, लो-मूड और स्टिफनेस महसूस करने लगता है, जबकि कई लोग 60 के बाद भी एक्टिव, हेल्दी और एनर्जीटिक दिखते हैं. असल में बुढ़ापा सिर्फ स्किन, हड्डियों और मसल्स को प्रभावित नहीं करता, बल्कि हमारी लाइफस्टाइल, रूटीन, मायंडसेट और माइक्रो-हैबिट्स में भी झलक जाता है. अगर हम रोज़मर्रा की जिंदगी में कुछ वैज्ञानिक और आसान बदलाव शामिल कर लें, तो एज सिर्फ एक नंबर बनकर रह जाता है.

आईजीआईएमएस के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रोहित उपाध्याय बताते हैं कि सुबह उठकर सिर्फ 15 मिनट का मेडिटेशन दिमाग के न्यूरॉन्स को शांत करता है, कोर्टिसोल Stress Hormone घटाता है और मेमोरी फ़ोकस को तेज़ बनाता है. रिसर्च के मुताबिक नियमित ध्यान से मेंटल एजिंग स्लो होती है.

डॉ. उपाध्याय आगे कहते हैं कि नींद शरीर की रिपेयरिंग मशीन  है. रोज  7–8 घंटे की डीप स्लीप स्किन को ग्लोइंग रखती है, इम्यून सिस्टम मजबूत करती है और सेलुलर एजिंग को कम करती है. देर रात स्क्रीन देखने से बचें और स्लीप हाइजीन बेहतर बनाएं. डिजिटल दौर में बढ़ा हुआ स्क्रीन टाइम आंखों, दिमाग और हार्मोनल बैलेंस पर बुरा असर डालता है. इसलिए कम से कम सोने से 1 घंटा पहले मोबाइल लैपटॉप से दूरी जरूरी है. इससे न सिर्फ नींद बेहतर होती है बल्कि झुर्रियां और डार्क सर्कल का खतरा भी घटता है.

योग के बारे में डॉ. उपाध्याय बताते हैं कि योग फुल-बॉडी मेडिसिन की तरह काम करता है. रोज़ 20–30 मिनट योग, स्ट्रेचिंग या हल्की वॉक करने से ब्लड सर्कुलेशन सुधरता है, हड्डियां मजबूत होती हैं, जॉइंट्स लचीले रहते हैं और हार्ट भी हेल्दी रहता है. इससे डायबिटीज, मोटापा, हाई बीपी का रिस्क भी घटता है.

अंत में आईजीआईएमएस के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रोहित उपाध्याय कहते हैं कि न्यूट्रिशनल डाइट एजिंग को धीमा करने की असली चाबी है. स्ट्रीट फूड और ओवर-प्रोसेस्ड चीज़ें शरीर में टॉक्सिन्स और इंफ्लेमेशन बढ़ाती हैं. इसके बजाय हरी सब्ज़ियां, मौसमी फल, दालें, बादाम अखरोट, दही और पर्याप्त पानी शरीर को एंटीऑक्सीडेंट्स देते हैं जो एजिंग सेल्स से लड़ते हैं.

इन 5 आदतों को अपनाकर आप भी उम्र को मात दे सकते हैं और ज़िंदगी को नौजवान अंदाज़ में जी सकते हैं!