पुलिस जिप्सी की चपेट में आकर बाइक सवार की मौत, मुआवजे से मुकर रही सरकार को हाईकोर्ट ने दिया झटका, अब पीड़ित परिवार को 14 साल बाद मिला इंसाफ
पुलिस जिप्सी से बाइक सवार युवक की मौत के बाद परिवार को मुआवजा देने से मुकर रही सरकार को हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने मुआवजे की रकम के साथ सूद भी देने को कहा है।
Patna - पटना हाईकोर्ट ने पुलिस जिप्सी से हुई दुर्घटना में मोटरसाइकिल चालक की मौत पर पौने सात लाख रुपये का मुआवजा सूद सहित देने का आदेश दिया है। जस्टिस राजीव रॉय ने राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका को निष्पादित करते हुए मुआवजा राशि देने का समय सीमा तय किया।
गौरतलब है कि पीड़िता के पति अपने भाइयों के साथ 7 मार्च ,2011 को मोटरसाइकिल से जा रहे थे। जमुई के पावर ग्रिड क्रॉसिंग के पास, एक सैंट्रो कार का पीछा करते हुए पुलिस जिप्सी ने मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी। इसके बाद मोटरसाइकिल चालक को जमुई के गिद्धौर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया।जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वही दुर्घटना के बाद पुलिस पार्टी ने पुलिस जिप्सी को छोड़कर भाग गई।
इसके बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस जिप्सी में आग लगा दी। जिसको लेकर 7 मार्च, 2011 को गिद्धौर थाना में प्राथमिकी संख्या 26/2011 दर्ज की गई।सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि मोटरसाइकिल चालक भोला यादव के पास वाहन चलाने का वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था।
जिला न्यायालय ने दिया मुआवजे का आदेश
वही कोर्ट ने कहा कि पुलिस अपने रिपोर्ट में चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस होने की बात कही है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पुलिस जिप्सी तेजी और लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए टक्कर मारी थी। इससे कमाने वाले की मौत हो गई।जमुई के मोटर वाहन दुर्घटना न्यायाधिकरण ने मोटरसाइकिल चालक का न्यूनतम वेतन तीन हजार रुपये प्रति माह मान कर पीड़िता को 6 लाख 74 हजार 8 सौ रुपये 6 प्रतिशत ब्याज के दर से भुगतान करने का आदेश दिया।
हाईकोर्ट पहुंची सरकार
लेकिन राज्य सरकार ने इस आदेश की वैधता को हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता को अब तक मुआवजा राशि का भुगतान नहीं किया गया है, तो वह 31 दिसम्बर 2025 तक ब्याज सहित भुगतान पाने का हकदार है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि भुगतान करने में विफल रहने पर पीड़िता 1 जनवरी, 2026 से 9 प्रतिशत ब्याज पाने का हकदार होगी। इसके बावजूद 31 मार्च, 2026 तक भुगतान नहीं किये जाने पर दावेदार 25 हजार रुपये की अतिरिक्त राशि पाने का हकदार होगी।
कोर्ट ने भुगतान में देरी करने वाले अधिकारियों को चिन्हित कर उनसे वसूलने की पूरी छूट राज्य सरकार को दी है।