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रायबरेली से राहुल गांधी के चुनाव लड़ने के मायने समझिए, क्या कांग्रेस के इस अभेद्य किले को भेद पाएगी बीजेपी ?

रायबरेली से राहुल गांधी के चुनाव लड़ने के मायने समझिए, क्या कांग्रेस के इस अभेद्य किले को भेद पाएगी बीजेपी ?

LUCKNOW : यूं तो लोकसभा चुनाव पूरे देश में हो रहा है लेकिन सभी पार्टियों की निगाहें रायबरेली और अमेठी सीट पर थी सभी को लग रहा था कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे लेकिन आखिरी वक्त में कांग्रेस ने वक्त बदल दिया जज्बात बदल दिया और राहुल गांधी रायबरेली से मैदान में है रायबरेली सीट कांग्रेस की पारिवारिक सीट है सोनिया गांधी 2004 से लगातार 2019 तक यहां से सांसद रही। लेकिन इस बार उनके चुनाव न लड़ने की वजह से अंदेशा लगाए जा रहा था कि प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ रायबरेली सीट से राहुल गांधी ने चुनावी बिगुल फूंक दिया है। अब ऐसे में आइए जानते हैं कि रायबरेली सीट राहुल गांधी के लिए कितनी सुरक्षित है राहुल गांधी को रायबरेली सीट पर कितनी चुनौती मिलने वाली है और क्या रायबरेली सीट से राहुल गांधी चुनाव जीत सकते हैं या नहीं? जानकार मानते हैं कि अमेठी छाेड़ रायबरेली चुनने का अहम कारण सोनिया की लगातार जीत में छिपा है। 

2019 के चुनाव में भले ही राहुल गांधी अमेठी हार गए हों लेकिन साेनिया गांधी ने रायबरेली में परिवार का झंडा बुलंद रखा था। यूपी में कांग्रेस की ये एकमात्र जीत थी। लेकिन 2024 में क्या? क्या राहुल गांधी आसानी से मां की विरासत संभालने में कामयाब रहेंगे? भाजपा की चुनौती कितनी बड़ी है? दिनेश प्रताप सिंह क्यों भाजपा के लिए अहम हैं? आइए सब कुछ आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं...

अमेठी में हो रहा था इंतजार

लोकसभा चुनाव 2024 में वैसे तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी पहले ही वायनाड से चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके थे। लेकिन सबके जेहन में एक ही सवाल था कि क्या राहुल गांधी अमेठी वापस लौटेंगे? कांग्रेस में लंबे समय के इंतजार के बाद आखिरकार फैसला हो गया है। राहुल गांधी यूपी लौट आए हैं लेकिन अब वो अमेठी नहीं रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। रायबरेली से उनकी मां सोनिया गांधी लगातार सांसद रहीं और अब उन्होंने राज्यसभा में जाने का फैसला कर लिया है। वहीं अमेठी सीट को लेकर गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले केएल शर्मा को टिकट दिया गया है। रायबरेली सीट से भले ही सोनिया गांधी ने 2019 में चुनाव जीता था लेकिन बीजेपी लगातार रायबरेली का किला फतह करने के लिए लगी हुई है। 

बीजेपी के लिए इस बार कितनी है चुनौती

बीजेपी 2014 से लगातार रायबरेली सीट पर मेहनत कर रही है.2019 के लोकसभा चुनाव रिजल्ट पर नजर डाल लें तो बात ज्यादा समझ में आ जाती है। इस चुनाव में सोनिया गांधी ने रायबरेली से आसान जीत दर्ज की थी। हालांकि पिछले चुनावों की तुलना में उनका जीत का अंतर कम जरूर हो गया था। इस चुनाव में सोनिया गांधी ने करीब 56.41 प्रतिशत के साथ 5 लाख 34918 वोट हासिल किए। वहीं भाजपा से दिनेश प्रताप सिंह काफी कोशिश के बाद ही 38.78 प्रतिशत यानी 3 लाख 67,740 वोट ही हासिल कर सके थे। इससे पहले सोनिया गांधी ने महज 33 प्रतिशत वोट हासिल कर भाजपा के अजय अग्रवाल को करीब 3 लाख वोटों से मात दी थी। उस चुनाव में सोनिया गांधी को 5 लाख से ज्यादा वोट मिले थे, जबकि अजय अग्रवाल 1 लाख 73 हजार के करीब वोट ही हासिल कर सके थे। 

इससे जाहिर है कि 2014 से 2019 के बीच पांच साल में भाजपा ने यहां काफी मेहनत की। जिस पार्टी को 2014 के चुनाव में महज 10.89 प्रतिशत वोट मिले थे, उसी पार्टी ने दिनेश प्रताप सिंह की अगुवाई में 38.78 प्रतिशत वोट तक का सफर तय कर लिया। अब ऐसे में राहुल गांधी के लिए रायबरेली का किला बचना भी बेहद जरूरी है अगर गलती से भी कांग्रेस रायबरेली सीट हारती है तो राहुल गांधी की छवि बेहद खराब हो सकती है।

REPORT - ASIF KHAN

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